ज़िन्दगी जीने का सलीखा़ सिखा दे, ऐ मौला ।
काँटों भरे चमन मे एक गुल खिला दे, ऐ मौला ॥
तेरी रहमत पर हमें कोई शक नहीं हैं, लेकिन,
मेरे होठों को भी एक मुस्कान दिला दे, ऐ मौला ॥
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किसी ने उसे हिन्दू , किसी ने मुसलमान कहा ।
बनाने वाले खुदा ने, लेकिन, उसे इन्सान कहा ॥
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किसी ने उसे हिन्दू , किसी ने मुसलमान कहा ।
ReplyDeleteबनाने वाले खुदा ने, लेकिन, उसे इन्सान कहा ॥
lलाजवाब रचना है बधाई
khubsurat rachana...
ReplyDeleteकिसी ने उसे हिन्दू , किसी ने मुसलमान कहा ।
ReplyDeleteबनाने वाले खुदा ने, लेकिन, उसे इन्सान कहा
bahut sahi kaha
किसी ने उसे हिन्दू , किसी ने मुसलमान कहा ।
ReplyDeleteबनाने वाले खुदा ने, लेकिन, उसे इन्सान कहा ॥
यही जज़्बा होना चाहिये ।
बहुत सुन्दर रचना! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteज़िन्दगी जीने का सलीखा़ सिखा दे, ऐ मौला ।
ReplyDeleteकाँटों भरे चमन मे एक गुल खिला दे, ऐ मौला ॥
तेरी रहमत पर हमें कोई शक नहीं हैं, लेकिन,
मेरे होठों को भी एक मुस्कान दिला दे, ऐ मौला ॥
sahee dua . Aameen.
sabhee ka bhala ho jaega isese.............aapkee muskrahat doosaro ko bhee muskurahat degee.............
ज़िन्दगी जीने का सलीखा़ सिखा दे, ऐ मौला ।
ReplyDeleteकाँटों भरे चमन मे एक गुल खिला दे, ऐ मौला ॥
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया...... बहुत सुंदर ....रचना....