नये साल में, चुन लीं हैं नई मन्ज़िलें।
नये पंख लगाये, उड़ चले पुराने परिन्दें ॥
नये ज़माने मे नया इतिहास रचने वाले ।
आसमान को छूने का दावा करने वाले ॥
अब तक जो होता रहा, अब ना हो पायेगा।
ज़ुल्म के आगे, कोई सर ना झुक पायेगा ॥
संभल जाओ, ऐ ज़ुल्म के ठेकेदारों,
हम आ गये हैं, वक्त को बदलने वाले ॥
हर चेहरे पर मुस्कान लाने का इरादा हैं ।
हर आँख से आँसू पोछने का वादा हैं ॥
अब हर अंधेरा मिटाने का ठाना हैं ।
हम रात के सीने से उज़ाला छीनने वाले ॥
काँटों पर चलकर फूलों की मंज़िल पाना हैं ।
अब किया हुआ हर वादा निभाना हैं ॥
अब ज़िन्दगी को दाँव पर लगाना हैं ।
हम हैं सर पर कफ़न बाँध कर निकलने वाले ॥
हम हैं सर पर कफ़न बाँध कर निकलने वाले ....भाई दन दना दन पोस्ट लिखने के लिये शुक्रिया.....लिखते रहें हम पढ़ते रहेंगे ये हमारा वादा है।
ReplyDeleteWaah bhai Dipayanji apka blog jagat mein swagat hai. Achha likh rahe hai aap.
ReplyDeletebahut hi shaandaar rachna ,bha gayi man ko .
ReplyDeleteहर चेहरे पर मुस्कान लाने का इरादा हैं ।
ReplyDeleteहर आँख से आँसू पोछने का वादा हैं ....
भगवान करेआप अपने इरादे में कामयाब हों .......... सुंदर रचना है .........
बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना का सुन्दर इरादा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
सुंदर शब्दों के साथ ......बहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteबहुत अच्छा.
ReplyDeleteबहुत ही नेक इरादा है । आमीन ।
ReplyDeleteसंभल जाओ, ऐ ज़ुल्म के ठेकेदारों,
ReplyDeleteहम आ गये हैं, वक्त को बदलने वाले ॥
bahut jaroorat hai ise ghadee aise hee parivartan kee......aur josh kee.
बहुत सुन्दर रचना का सुन्दर इरादा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार