उन्होंने मोहब्बत को खेल, दिल को एक खिलौंना समझा ।
ठोकर खाकर भी, एक बेवफ़ा को हमनें अपना समझा ॥
दिल को जाना था, गया, अब ज़ान पर बन आई है ।
फिर भी उनके हर सितम को हमने अदा समझा ॥
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अपने चहरे पर आप यूँ नक़ाब ना लगाईये ।
चेहरा छुपाकर इस दिल में आग़ ना लगाईये ॥
जल जाने का हमें कोई ग़म नहीं है, लेकिन,
ख़ुद पर आप ये इल्ज़ाम तो ना लगाईये ॥
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Achchi Bhawnayen hain!
ReplyDeleteबहुत खूब , इश्क के मारे लगते हैं जनाब
ReplyDeleteशानदार!!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब।
ReplyDeleteदीपायन जी ,
ReplyDeleteअच्छा लिख रहे हैं आप
बधाइयां
dil ki baatein vakai dil chhu lene wali hain , badhai .
ReplyDeleteखिलौना मान लो दिल को फिर सब ठीक हो जायेगा
ReplyDeleteलिखते रहिये !!
बहुत खूब !!
ReplyDeleteWoh kareeb hi na aaye to izhaar kya karte,
ReplyDeleteKhud bane nishana to shikaar kya karte,
Mar gaye par khuli rakhi aankhein,
Is se zyada kisi ka intezar kya karte.
tumhara naam sunte hi bahut kuchh yaad aata hai, khushi me guzra hua ek zamana yaad aata hai. itna door ho gaya hun tumhe bhula bhi nahi sakta aankhen band karte hi tumhara chehra yaad aata hai.
ReplyDeleteदिल को जाना था, गया, अब ज़ान पर बन आई है ।
ReplyDeleteफिर भी उनके हर सितम को हमने अदा समझा ॥
Bahut khoob.......
बहुत खूब , इश्क के मारे लगते हैं जनाब
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
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