वो जो थे मेरी मुट्ठी में बंद चन्द रेखाए ,
उनको भी चुराकर ले गया कोई ।
लिखी थी जो दास्तान दिल की एक कोरे कागज़ पर ,
रात के अँधेरे में उन्हें मिटा गया कोई ।
रखे थे निगाहों में छुपाकर कुछ आंसू अपने जिगर के ,
चुपके से आकर मुझको रुला गया कोई । ।
रखे थे निगाहों में छुपाकर कुछ आंसू अपने जिगर के चुपके से आकर मुझको रुला गया कोई, दीपायनजी आप लिखते भी हैं ये आज पता चला ...भाई अब हम रोज़ आपकी "भावनाएं" पढ़ने आया करेंगे....इसे ज़ारी रखें शुक्रिया।
सुन्दर, लिखी थी जो दास्तान दिल की एक कोरे कागज़ पर ,रात के अँधेरे में उन्हें मिटा गया कोई ।
रखे थे निगाहों में छुपाकर कुछ आंसू अपने जिगर के ,चुपके से आकर मुझको रुला गया कोई ...बहुत ही लाजवाब नज़्म है ..... चुपके से रुला गया कोई ...........
रखे थे निगाहों में छुपाकर कुछ आंसू अपने जिगर के चुपके से आकर मुझको रुला गया कोई, दीपायनजी आप लिखते भी हैं ये आज पता चला ...भाई अब हम रोज़ आपकी "भावनाएं" पढ़ने आया करेंगे....इसे ज़ारी रखें शुक्रिया।
ReplyDeleteसुन्दर,
ReplyDeleteलिखी थी जो दास्तान दिल की एक कोरे कागज़ पर ,
रात के अँधेरे में उन्हें मिटा गया कोई ।
रखे थे निगाहों में छुपाकर कुछ आंसू अपने जिगर के ,
ReplyDeleteचुपके से आकर मुझको रुला गया कोई ...
बहुत ही लाजवाब नज़्म है ..... चुपके से रुला गया कोई ...........