Tuesday, June 29, 2010

शिर्डी यात्रा

हुआ दर्शन तेरा, खुले मेरे भाग्य के द्वार ।
शिर्डी वाले बाबा, तेरी महिमा अपरमपार ॥

जो जाता, तेरे गुण गाता, पाता तेरा प्यार ।
ना कोई भेद-भाव वहाँ, अनूठा तेरा संसार ॥

बहुत दिन हो गये, थोड़ा व्यस्त हो गया था, ज़िन्दगी के भाग दौड़ में । तबियत अभी ठीक है ।
पिछ्ले शनिवार को मैं शिर्डी गया था परिवार के साथ । साथ मे हमारे एक अच्छे मित्र और उनका परिवार भी था । पहली बार मैं खुद गाड़ी चलाकर गया और अगले दिन लौटा । सफर बहुत अच्छा रहा । मौसम सुहावना था । दर्शन भी अच्छे से हो गये । हाँ, थोड़ी भीड़ जरूर थी पर अच्छा लगा । पिछले महीने भी गया था, फिर जाने का मन किया, सो चल दिया । बाबा के दर्शन के बाद जो ख्याल आया वो ऊपर बयां किया । उम्मीद है, इश्वर का आशिर्वाद और आप सबका प्यार यूँ ही मिलता रहेगा ।