Wednesday, January 20, 2010

कुछ और दिल की बातें

देखिये ना इन मदभरी निगाहों से हमें,
ना जाने क्या खता हो जाए ।
हम दिवाने होकर भटकते फिरे ,
और आप किसी ग़ैर की हो जाए ॥


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देखा है हमने भी ज़न्नत को ख्वा़बो मे अकसर ।
फिर भी हमें उनका मुस्कुराना बेहतर लगा ।।


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बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं ।
जो निगाहों से ना हो, तो गुफ्तगू क्या है ॥


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7 comments:

  1. बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं ।
    जो निगाहों से ना हो, तो गुफ्तगू क्या है ॥
    बहुत सुन्दर !

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  2. बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं
    जो निगाहों से ना हो, तो गुफ्तगू क्या है ....

    लाजवाब शेर है ....... सच में निगाहों में बात हो तो फिर क्या बात है .......

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  3. आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने!

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  4. बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं
    जो निगाहों से ना हो, वो गुफ्तगू क्या है ....


    बहुत खूब

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  5. बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं ।
    जो निगाहों से ना हो, तो गुफ्तगू क्या है ॥

    ati sunder.......

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  6. बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं
    जो निगाहों से ना हो, तो गुफ्तगू क्या है ....

    लाजवाब शेर है ....... सच में निगाहों में बात हो तो फिर क्या बात है .......

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