Friday, January 15, 2010

मुलाक़ात

हकीक़त में मिले उनसे, ऐसी हमारी क़िस्मत कहाँ ।
मुलाकात भी की हमने, तो ख्वाबो़ में की ॥
टूट ना जायें, ये ख्वाब सुनहरा कहीं आवाज़ से ,
गुफ़्तगू भी की हमने , तो निगाहों से की ॥

13 comments:

  1. umda kaam.

    bahut khub nigaho ne kahi
    lab chup rahe aawaz nahi hone di
    khwab me mulaqat badi kismat ki hay baat
    hakikat ki dunia khwab se kubsurat to nahi.

    badhai aur shubhkaamnayen.

    my blog- www.zoomcomputers.blogspot.com

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  2. ाह बहुत खूब शुभकामनायें

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  3. गुफ़्तगू भी की हमने , तो निगाहों से की ॥
    बहुत खूब.

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  4. हकीक़त में मिले उनसे, ऐसी हमारी क़िस्मत कहाँ ।
    मुलाकात भी की हमने, तो ख्वाबो़ में की ॥
    टूट ना जायें, ये ख्वाब सुनहरा कहीं आवाज़ से ,
    गुफ़्तगू भी की हमने , तो निगाहों से की ॥

    bahut khoob.....!!

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  5. बहुत उम्दा...वाह!

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  6. बहुत खुबसूरत कविता
    बहुत बहुत आभार

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  7. आपको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें !
    बहुत खूब!

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  8. टूट ना जायें, ये ख्वाब सुनहरा कहीं आवाज़ से ,

    वाह ..वाह... वाह....

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  9. बड़े नादान है वो, जो ज़ुबां से काम लेते हैं ।
    जो निगाहों से ना हो, तो गुफ्तगू क्या है ॥
    isee apane sher ko aapne vazan de diya .......

    टूट ना जायें, ये ख्वाब सुनहरा कहीं आवाज़ से ,
    गुफ़्तगू भी की हमने , तो निगाहों से की ॥
    Bahut badiya........

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  10. टूट ना जायें, ये ख्वाब सुनहरा कहीं आवाज़ से ,

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