जब कभी आसमान पर चाँद आया,
हमे अपने गाँव का मंजर याद आया
ऊँची इमारतो और रंगीन रौशनी में रहते हुए भी,
घर के आँगन में जलता वो चिराग याद आया
मिलने को तो मिल जाते है यहाँ हर मोड़ पर आदमी,
जाने क्यों दिल को वो इंसान याद आया
जवानी पार कर जब बुदापे के दहलीज़ पर खड़े हुए,
पीछे से पुकारता अपना बचपन याद आया
आज, जब मौत से दीदार करने चले,
ज़िन्दगी का मुस्कुराता हुआ चेहरा याद आया