Tuesday, July 27, 2010

ख्वाईश

आज मुद्दतो बाद, तेरे शहर में आया हूँ,
सोचा, तुझे ऐ ज़िन्दगी, सलाम करता चलूँ ।
थक गया हूँ, तेरी राहों पर चलते-चलते,
दे इज़ाज़त, तो थोड़ा आराम करता चलूँ ॥

मैं एक भटका हुआ राही, तू मेरी मंज़िल ।
तू कहे, तो ये अफ़साना ब्यां करता चलूँ ॥
तुझे ढूंढ़ने के कोशिश में, खुद को खो दिया,
तू मिले, तो खुद को भी तलाश करता चलूँ ॥

ख्वाईश यही है, फूलों से सजी रहे तू सदा,
और मैं दामन अपना, काँटों से भरता चलूँ ॥
तू हर कदम पर मेरे, रेखाये खीचंती रहे,
और मैं हर हद के दायरे को पार करता चलूँ ॥

15 comments:

  1. ख्वाईश यही है, फूलों से सजी रहे तू सदा,
    और मैं दामन अपना, काँटों से भरता चलूँ ॥
    तू हर कदम पर मेरे, रेखाये खीचंती रहे,
    और मैं हर हद के दायरे को पार करता चलूँ ॥

    Kya likha hai...! Aapki har tamanna pooree ho!

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  2. अच्छी ख्वाहिश , आमीन ।

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  3. बहुत ही ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  4. मैं एक भटका हुआ राही, तू मेरी मंज़िल ।
    तू कहे, तो ये अफ़साना ब्यां करता चलूँ ॥
    तुझे ढूंढ़ने के कोशिश में, खुद को खो दिया,
    तू मिले, तो खुद को भी तलाश करता चलूँ
    waah ....
    itni behtareen panktiyaan....
    main to aapka kayal ho gaya hoon

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  5. too good......

    Amazing.expressions .

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  6. आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .

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  7. ख्वाईश यही है, फूलों से सजी रहे तू सदा,
    और मैं दामन अपना, काँटों से भरता चलूँ ॥
    तू हर कदम पर मेरे, रेखाये खीचंती रहे,
    और मैं हर हद के दायरे को पार करता चलूँ ...

    बहुत ही लाजवाब ... गाया जा सकता है ये गीत ... शुक्रिया ...

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  8. bahut dino se koi kavita nahee........
    tabiyat to theek hai na?...........

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  9. MAIL MILEE ACCHA LAGA....
    M B A HO GAYA KYA...?
    I KNOW ITS DIFFICULT DO KAAM EK SATH.....

    ALL THE BEST.

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  10. बहुत ही लाजवाब . गीत ... शुक्रिया ...

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  11. ख्वाईश यही है, फूलों से सजी रहे तू सदा,
    और मैं दामन अपना, काँटों से भरता चलूँ ॥
    तू हर कदम पर मेरे, रेखाये खीचंती रहे,
    और मैं हर हद के दायरे को पार करता चलूँ ॥

    ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..

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