चाँद जब रात को कतरा कतरा बिखरता है ।
एक टीस इस दिल मे यूँ ही उमड़ता है ॥
शायद टूटता है, ख्वाब किसी का सहर से पहले
कोई देवदास अपने पारो से, यूँ ही बिछड़ता है ॥
जब सूरज अपनी किरण, चाँदनी से टकराता है ।
एक ज्वाला, दो दिलो के बीच भड़काता है ॥
और शायद कहीँ किसी पीपल के पेड़ तले,
कोई कान्हा अपने राधा के साथ रास रचाता है ॥
कोई भवँरा, चमन मे जब किसी कली को चूमता है।
मोहब्बत की खुशबू फ़िज़ाओ मे बिखेरता है ॥
तब शायद कहीं कोई आशिक, नीले अम्बर तले,
अपने मुमताज़ के कब्र पर तन्हा अश्क बहाता है ॥
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ReplyDeletebahut achhi rachna hai....
ReplyDeletebahut khub warnan kiya hai aapne...
naseeb waah ...shirshak bhi utna hi behtareen....
waah....
bas ek gujarish hai...
जब सूरज की किरण, चाँदनी से टकराता है ।
thoda ajeeb lag raha hai....
isko
जब सूरज अपनी किरण, चाँदनी से टकराता है ।
karlein jyada sateek lagega...
dhanyawaad..
shekhar
उमरता. बिछरता आदि को उमड़ता, बिछड़ता कर लें...तो पढ़ने में अच्छा लगेगा. निवेदन मात्र है.
ReplyDeleteशुक्रिया, मागदर्शन के लिये धन्यवाद ।
ReplyDelete"जब सूरज अपनी किरण, चाँदनी से टकराता है ।"; ये रात के जाने और भोर की पहली किरण के आने का वर्णन है।
कोई कान्हा अपने राधा के साथ रास रचाता है ॥
ReplyDeleteकोई भवँरा, चमन मे जब किसी कली को चूमता है।
मोहब्बत की खुशबू फ़िज़ाओ मे बिखेरता है ॥
तब शायद कहीं कोई आशिक, नीले अम्बर तले,
अपने मुमताज़ के कब्र पर तन्हा अश्क बहाता है ॥
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया...... बहुत सुंदर ....रचना....
duniya man kee baat bina sajhae samajh le aisa naseeb ...........
ReplyDeletenaseeb walo ko hee naseeb.............
rachana pyaree lagee............par bhareepan liye thee.........
जब सूरज अपनी किरण, चाँदनी से टकराता है
ReplyDeleteएक ज्वाला, दो दिलो के बीच भड़काता है
और शायद कहीँ किसी पीपल के पेड़ तले,
कोई कान्हा अपने राधा के साथ रास रचाता है
बहुत खूब .. बहुत कमाल की बात लिखी है ... प्रेम की उन्मुक्त हवा तो ऐसे ही बहती है ...
प्रशंसनीय ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, शानदार और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteशायद टूटता है, ख्वाब किसी का सहर से पहले
ReplyDeleteकोई देवदास अपने पारो से, यूँ ही बिछड़ता है ॥
Bahut sundar alfaaz!
बहुत सुन्दर रचना है ... हम इतने ज्ञानी नहीं कि कुछ खामी निकालें ...बस हम तो कवी के भावों का आनंद लेते हैं ...
ReplyDeleteशानदार है प्यार और विरह का वर्णन
ReplyDeleteEk baar phir padhne ka man kiya...behad purkashish!
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण.....बहुत खूब....दिल कि आवाज सीधा दिल को पार कर गयी...
ReplyDeleteहमने mother's डे पर कुछ लिखा हें ब्लॉग पर .....आपके विचार जान ना चाहते हैं.....
{आये हम मिलकर उस माँ को याद करे ....
लबो पर जिसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो खफा नहीं होती ---अज्ञात }