Wednesday, December 8, 2010

हादसे - ज़िन्दगी के

हालात मेरी ज़िन्दगी के क्या खराब हुए,
लोगो ने मुझसे ना मिलने का दस्तूर बना डाला ।
अब क्या करे गिला खुदा से, जो मेरा घर जल गया,
बिजली ने अपनी मर्ज़ी से अपना रास्ता बदल डाला ॥

हम तो दिये की बाती की तरह जलते रहते उम्र भर,
बेवक्त की आँधी ने मगर मेरा लौ बुझा डाला ।
ज़माने के लिये हम गुनहगार ठहरे, कैसे उन्हे समझाये,
मासूम बच्चो की भूख़ ने हमे मुज़रिम बना डाला ॥

राह पर निकले थे, तो साथ अपने कारवाँ था,
वक्त के साथ मेरे साये ने भी मुझसे नाता तोड़ डाला ।
मुशकिलों से लड़ने की आदत सी मुझको हो गई थी,
मिटा सके ना जब हौसला मेरा, तो मुझे मिटा डाला ॥

14 comments:

  1. दुनिया का दस्तूर यही है। वो हमेशा आगे चलने वालों को मिटाने की फिराक मे रहती है। लेकिन अपने हौसले हमेशा ही बुलन्द रखने चाहिये। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई आपको।

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  2. blog jagat ke rishte aise hote hai bitiya kee knee surgery ke samay tumharee slip disc ko le chinta man me ho aaee thee.......
    studies kaisee chal rahee hai..........?pgmba kee.
    housale buland ho to toofan bhee rukh badal lete hai.......aazma ke dekhana........
    positive attitude bahut jarooree hai.........
    all the best
    allways

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  3. दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.

    अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
    तय हो सफ़र इस नए बरस का
    प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
    सुवासित हो हर पल जीवन का
    मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
    करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
    शांति उल्लास की
    आप पर और आपके प्रियजनो पर.

    आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

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  4. ekdam theek baat bari sunderta ke saath likha hai aapne.

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  5. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  6. धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

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  7. .

    यही दस्तूर है।

    उन्हें अपने दस्तूर निभाने दीजिये। आप अपने हौसलों को बुलंद रखिये। जिनके हौसले बुलंद होते हैं , उनकी राहें अक्सर काँटों से भरी होती हैं।

    मुश्किलें ही हौसलों को बुलंद करती जाती हैं।

    एक सार्थक रचना के लिए बधाई।

    .

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  8. kya bat hain
    bahut hi sundar rachana
    mere blog ko visit karne k liye dhanaywad
    aapako agar mera blog accha laga ho to follow kare

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  9. nice poetic sense prevails .

    thanks for visiting my blog.salaam.

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  10. हम तो दिये की बाती की तरह जलते रहते उम्र भर,
    बेवक्त की आँधी ने मगर मेरा लौ बुझा डाला ।
    ज़माने के लिये हम गुनहगार ठहरे, कैसे उन्हे समझाये,
    मासूम बच्चो की भूख़ ने हमे मुज़रिम बना डाला ॥
    सुन्दर रचना

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  11. एक सार्थक रचना के लिए बधाई।

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  12. बहुत अच्छी लगी यह रचना |बधाई
    आशा

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  13. मुशकिलों से लड़ने की आदत सी मुझको हो गई थी,
    मिटा सके ना जब हौसला मेरा, तो मुझे मिटा डाला ॥

    वाह क्या बात है ! बढ़िया !

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