Saturday, May 8, 2010

माँ

खुदा की ईबादत भी कर लूंगा फ़ुरसत में ,
जरा माँ से दो बातें तो कर लूँ, इत्मीनान से ॥

कहते है, माँ का स्थान, इश्वर से भी बड़ा होता है, सच है शायद ।
कल "मदर्स डे" है, यानी माँ का दिन । मेरा खुद का ये मानना है कि कोई एक दिन माँ का नहीं हो सकता । हर दिन माँ का होता है क्योंकि माँ की दुआयें हमेशा हमारे साथ रहती है । बड़े खुशनसीब होते है वो, जिन्हे माता पिता का आशिर्वाद प्राप्त होता है और भाग्यशाली होते है वे, जिन्हे माता पिता का सेवा का अवसर प्राप्त होता है । माँ से सम्बंधित कुछ भावनायें, जो कभी मेरे मन मस्तिक मे दस्तक देती थी, उन्हे शब्दो के रूप में ढालकर, दो दो पन्क्तियाँ मे पेश कर रहा हूँ ।

खुदा की ईबादत भी कर लूंगा फ़ुरसत में ,
जरा माँ से दो बातें तो कर लूँ, इत्मीनान से ॥

रूठे ज़माना मुझसे, शायद नाराज़ हो ख़ुदा भी,
यकीन है, माँ मुझसे कभी खफ़ा नहीं होगी ।

आजकल शायद, फ्लैटो में जगह कम होती हैं ।
आजकल बेटे अपने माँओ को शहर नहीं लाते ॥

शहर आकर, हर रोज़, खाते वक्त यही सोचा किये,
रोटीयाँ तो अपने गावँ में, माँ भी रोज़ पकाती थी ॥

जब भी नींद ने मेरी निगाहों से दुशमनी कर ली ,
मेरे कानो ने माँ की लोरीयों के साथ दोस्ती कर ली ॥

बचपन मे, मैने अपने माँ के चेहरे पर तब मायूसीयत देखी थी ,
जब मेले में, मेरे खिलौने के लिये माँ के पास पैसे कम निकले॥

बेटा शायद लौटने का वादा करके, कमाने शहर को चला था ।
आज भी तकती रहती है दहलीज़ की तरफ़ बूढ़ी माँ की आँखें ॥

बेखौफ़ होकर निकल पड़ता हूँ, घर से हर सुबह ,
ढाल बनकर, मेरे साथ मेरी माँ की दुआयें रहती हैं ॥

13 comments:

  1. bahut hi bhav bhare sher...ankhein nam ho chali...

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  2. dil se likha ek ek shavd asar chod gaya.......
    ek ma baccho kee khushee me hee khush hotee hai.........
    apane mamtv ke badale use koi apekshaa nahee rahtee..........
    Ma ka aashirvad to sada sath rahta hai.......
    khoob mehnat karo aur safal raho.......
    Aasheesh .

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  3. aapne is din ko itni lajawaab rachna ke madhyam se aur bhi mahatvapoorna bana diya..
    Mumbai ke bloggers ka main hamesha se samman karta aaya hoon.. achchha hai wo fehrist lambi ho rahi hai..

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  4. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! उम्दा रचना!

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  5. खुदा की ईबादत भी कर लूंगा फ़ुरसत में ,
    जरा माँ से दो बातें तो कर लूँ, इत्मीनान से ॥

    रूठे ज़माना मुझसे, शायद नाराज़ हो ख़ुदा भी,
    यकीन है, माँ मुझसे कभी खफ़ा नहीं होगी ।

    बहुत अच्छे ......!!

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  6. यकीनन माँ कभी खफा नहीं होती ।बहुत ही सार्थक और कामयाब रचना ।



    संसार की समस्त माताओं को नमन

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  7. मेरा खुद का ये मानना है कि कोई एक दिन माँ का नहीं हो सकता । हर दिन माँ का होता है क्योंकि माँ की दुआयें हमेशा हमारे साथ रहती है ।
    शहर आकर, हर रोज़, खाते वक्त यही सोचा किये,
    रोटीयाँ तो अपने गावँ में, माँ भी रोज़ पकाती थी ॥

    जब भी नींद ने मेरी निगाहों से दुशमनी कर ली ,
    मेरे कानो ने माँ की लोरीयों के साथ दोस्ती कर ली
    dono hi rachna behtrin hai ,man ko chhoo gayi .

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  8. abhi jis bhi blog par ja raha hoon...
    sab jagah maa ka hi jikr...
    aankhein bhar aayi hain padh padh kar....
    bahut hi khubsurat rachna.....
    yun hi likhte rahein...
    -----------------------------------
    mere blog mein is baar...
    जाने क्यूँ उदास है मन....
    jaroora aayein
    regards
    http://i555.blogspot.com/

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  9. देर से आया पर दुरुस्त आया....

    मेरा भी वंदन स्वीकार करें:

    मेरा जीवन मेरी साँसे,
    ये तेरा एक उपकार है माँ!

    तेरे अरमानों की पलकों में,
    मेरा हर सपना साकार है माँ!

    तेरी छाया मेरा सरमाया,
    तेरे बिन ये जग अस्वीकार है माँ!

    मैं छू लूं बुलंदी को चाहे,
    तू ही तो मेरा आधार है माँ!

    तेरा बिम्ब है मेरी सीरत में,
    तूने ही दिए विचार हैं माँ!

    तू ही है भगवान मेरा,
    तुझसे ही ये संसार है माँ!

    सूरज को दिखाता दीपक हूँ,
    फिर भी तेरा आभार है माँ!

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  10. बचपन मे, मैने अपने माँ के चेहरे पर तब मायूसीयत देखी थी ,
    जब मेले में, मेरे खिलौने के लिये माँ के पास पैसे कम निकले॥


    कुछ याद दिला दिया आपने.. तपती धूप, मां ओर बालूशाई...oh

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  11. ab kaise hai aap ?
    mai bhee ghoomane Australia gayee huee thee kal hee loute hai hum log...
    apana dhyan rakhiyega........
    vazan uthana , jhukana bilkul band aur ha Dr ke kahe chaliyega...........
    take care ......
    All the best .

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