Wednesday, September 30, 2009

मंजर

जब कभी आसमान पर चाँद आया,
हमे अपने गाँव का मंजर याद आया
ऊँची इमारतो और रंगीन रौशनी में रहते हुए भी,
घर के आँगन में जलता वो चिराग याद आया
मिलने को तो मिल जाते है यहाँ हर मोड़ पर आदमी,
जाने क्यों दिल को वो इंसान याद आया
जवानी पार कर जब बुदापे के दहलीज़ पर खड़े हुए,
पीछे से पुकारता अपना बचपन याद आया
आज, जब मौत से दीदार करने चले,
ज़िन्दगी का मुस्कुराता हुआ चेहरा याद आया

3 comments:

  1. स्वागत है आपका ब्लॉग जगत में

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  2. दिपायन जी आप भी आ गये.....चलिये अब तो आपको एक मंच मिल गया है...जम के लिखियेगा, आप भी हमारे जमात में शामिल हुए.....स्वागत है आपका।

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  3. der aae durust aae........ye mai apane liye likh rahee hoo aaj ist march mai 29th sept kee rachana par tipannee de rahee hoo..........
    Swagat hai aapka..........

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