tag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post2257592694818103909..comments2023-11-05T15:05:13.285+05:30Comments on bhawnayen: क्या क्या ना भूला, ज़िन्दगी मेंdipayanhttp://www.blogger.com/profile/07385176375960362837noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-40027335336899414732010-03-25T23:20:26.804+05:302010-03-25T23:20:26.804+05:30ये भागदौड़ भरी जिंदगी बहुत कुछ भुला रही है । छोटे क...ये भागदौड़ भरी जिंदगी बहुत कुछ भुला रही है । छोटे को बड़ा , तो बड़े को और बड़ा बनना है ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-76871324420133235622010-02-11T08:55:06.510+05:302010-02-11T08:55:06.510+05:30Bahut sunder rachana .....
Aaj kee soch ka ekdam s...Bahut sunder rachana .....<br />Aaj kee soch ka ekdam sahee chitran kiya hai aapne...........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-90200904138221133332010-02-10T14:16:14.536+05:302010-02-10T14:16:14.536+05:30आप सभी का हौसला अफ़ज़ाई के लिये बहुत शुक्रिया ।आप सभी का हौसला अफ़ज़ाई के लिये बहुत शुक्रिया ।dipayanhttps://www.blogger.com/profile/07385176375960362837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-79959058928391900172010-02-03T16:50:11.702+05:302010-02-03T16:50:11.702+05:30सबको देखकर मुस्कुराने की आदत हो गई,
मगर, जी खोल कर...सबको देखकर मुस्कुराने की आदत हो गई,<br />मगर, जी खोल कर हसंना भूल गये ।<br /><br />सात समन्दर पार कर लिया, मगर, <br />काग़ज की कश्ती बनाना भूल गये..<br /><br />बहुत दिल के करीब से ही कहा है अपने ........... इस आपाधापी में .......... हम अपना पचपन ...... अपना सबकुछ भूल गये हैं ...........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-32747294701642196822010-02-02T16:05:12.068+05:302010-02-02T16:05:12.068+05:30ईमारतो और गाड़ीयों में कट रही ज़िन्दगी,
अब हम पैदल घ...ईमारतो और गाड़ीयों में कट रही ज़िन्दगी,<br />अब हम पैदल घास पर चलना भूल गये ।<br />यूँ तो मँज़िल दर मँज़िल पार करते रहे,<br />और अपने घर का रास्ता भूल गये ॥<br />ज़िन्दगी की सच्चाई और वास्तविकता को आपने बखूबी शब्दों में पिरोया है! इस शानदार रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-49829083720399423092010-02-02T11:10:05.876+05:302010-02-02T11:10:05.876+05:30ये भागदौड़ भरी जिंदगी बहुत कुछ भुला रही है । छोटे क...ये भागदौड़ भरी जिंदगी बहुत कुछ भुला रही है । छोटे को बड़ा , तो बड़े को और बड़ा बनना है ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-78779033970055027132010-02-01T20:59:43.369+05:302010-02-01T20:59:43.369+05:30यूँ तो मँज़िल दर मँज़िल पार करते रहे,
और अपने घर का ...यूँ तो मँज़िल दर मँज़िल पार करते रहे,<br />और अपने घर का रास्ता भूल गये ॥<br />दूर देश में रहने का दर्द बहुत भावपूर्ण बन पढ़ा है. भूल जाते तो रचना इस तरह नहीं होती - अपने संस्कार और संस्कृति को याद रखने के लिए धन्यवाद.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-74572270590471786032010-02-01T20:49:40.322+05:302010-02-01T20:49:40.322+05:30यह रचना आधुनिक अनुकरण प्रवृत्ति और अपसंस्कृति की द...यह रचना आधुनिक अनुकरण प्रवृत्ति और अपसंस्कृति की दशा का वास्तविक चित्रण है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1603774656039448344.post-47656162376949769872010-02-01T18:29:53.131+05:302010-02-01T18:29:53.131+05:30मिलते रहे लोगों से हाथ से हाथ बढ़ाकर,
हाथ जोड़ कर अभ...मिलते रहे लोगों से हाथ से हाथ बढ़ाकर,<br />हाथ जोड़ कर अभिनंदन करना भूल गये ।।<br /><br />कुछ-कुछ मुखड़े बहुत बेहतरीन लिखे है दीपायन जी,पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com